गुरु
पूर्णिमा: ज्ञान और श्रद्धा का पावन पर्व
मंचासीन
सभी आदरणीय गुरुजन, मेरे प्रिय
मित्रों,
और उपस्थित सभी सज्जनों,
आप
सभी को गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएँ!
आज
आषाढ़ मास की पूर्णिमा है, और यह दिन
भारतीय संस्कृति में गुरु पूर्णिमा के रूप में बड़े हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ
मनाया जाता है। यह दिन उन सभी गुरुओं को समर्पित है जिन्होंने अपने ज्ञान, मार्गदर्शन और आशीर्वाद से हमारे जीवन को आलोकित किया है।
हमारी
संस्कृति में गुरु को ब्रह्मा, विष्णु
और महेश के समान माना गया है। एक प्रसिद्ध श्लोक है:
"गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरः।
गुरु
साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री
गुरुवे नमः॥"
इसका
अर्थ है कि गुरु ही ब्रह्मा हैं, गुरु
ही विष्णु हैं, और गुरु ही भगवान शिव
हैं। गुरु ही साक्षात परब्रह्म हैं, ऐसे गुरु को मैं नमन करता हूँ। यह श्लोक गुरु के सर्वोच्च
स्थान को दर्शाता है। गुरु हमें अज्ञान के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले
जाते हैं। वे हमें सही-गलत का भेद सिखाते हैं, जीवन के मूल्यों को समझाते हैं और हमें एक बेहतर इंसान
बनाते हैं।
यह
पावन पर्व महर्षि वेद व्यास के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। महर्षि
व्यास ने वेदों का विभाजन किया, महाभारत
जैसे महान ग्रंथ की रचना की, और
१८ पुराणों का संकलन किया। उनके अमूल्य योगदान के कारण उन्हें 'आदि गुरु' का
सम्मान प्राप्त है। इस दिन हम विशेष रूप से महर्षि व्यास का पूजन कर उनके प्रति
अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।
आज
के दिन हम अपने गुरुओं के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं। यह केवल पारंपरिक रूप
से पैर छूने या भेंट देने का दिन नहीं है, बल्कि यह गुरु द्वारा दिए गए ज्ञान और शिक्षाओं को अपने
जीवन में उतारने का संकल्प लेने का दिन है। गुरु हमें केवल किताबी ज्ञान ही नहीं
देते,
बल्कि वे हमें जीवन की चुनौतियों का सामना करना सिखाते हैं, हमें नैतिक मूल्यों की सीख देते हैं, और हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करते
हैं।
आधुनिक
संदर्भ में गुरु का अर्थ व्यापक हो गया है। हमारे माता-पिता, बड़े भाई-बहन, मित्र, और
यहाँ तक कि हमारा अपना अनुभव और प्रकृति भी हमें कुछ न कुछ सिखाते हैं। जिस किसी
से भी हमें ज्ञान मिलता है, जो कोई हमें
सही राह दिखाता है, वह हमारा
गुरु ही होता है। आज के दिन हमें उन सभी का स्मरण करना चाहिए और उनके प्रति अपना
सम्मान व्यक्त करना चाहिए।
गुरु
पूर्णिमा हमें याद दिलाती है कि ज्ञान का कोई अंत नहीं है और हमें जीवन भर सीखने
के लिए उत्सुक रहना चाहिए। यह हमें विनम्रता, कृतज्ञता और अनुशासन का महत्व सिखाता है। आइए, हम सब मिलकर इस पवित्र अवसर पर अपने गुरुओं का आशीर्वाद लें
और उनके बताए मार्ग पर चलकर अपने जीवन को सफल बनाएं।
आप
सभी को एक बार फिर गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएँ!
धन्यवाद।
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