🪔 गुरु पूर्णिमा: ज्ञान, श्रद्धा और गुरु-शिष्य परंपरा का पावन पर्व

 

    भारतवर्ष में मनाए जाने वाले अनेक पर्वों में से गुरु पूर्णिमा एक अत्यंत पवित्र और आध्यात्मिक पर्व है। यह दिन गुरु के प्रति सम्मान, कृतज्ञता और श्रद्धा व्यक्त करने का विशेष अवसर होता है। यह पर्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक, नैतिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

 


📅 गुरु पूर्णिमा कब मनाई जाती है?

 

गुरु पूर्णिमा आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। यह तिथि सामान्यतः जुलाई माह में आती है। इस दिन चंद्रमा की सोलह कलाएं पूर्ण होती हैं, जो ज्ञान की पूर्णता और समर्पण का प्रतीक मानी जाती हैं।

 

👳‍♂️ गुरु का अर्थ और महत्व

संस्कृत में ‘गुरु’ शब्द दो धातुओं से मिलकर बना है:

 

गु’ का अर्थ है अंधकार (अज्ञान)

 

रु’ का अर्थ है प्रकाश (ज्ञान)

 

इस प्रकार गुरु वह होता है जो अज्ञान के अंधकार को हटाकर ज्ञान का प्रकाश प्रदान करता है। भारतीय संस्कृति में गुरु को ईश्वर से भी श्रेष्ठ माना गया है:

 

> "गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरः।

गुरुः साक्षात् परब्रह्म, तस्मै श्री गुरवे नमः॥"

 

📜 गुरु पूर्णिमा का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व

 

🧘‍♂️ 1. वेदव्यास जयंती:

 

    गुरु पूर्णिमा को महर्षि वेदव्यास जी की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। उन्होंने वेदों का संकलन, महाभारत की रचना और 18 पुराणों की रचना की थी। इसलिए इस दिन को ‘व्यास पूर्णिमा’ भी कहा जाता है।

 

🕉 2. बौद्ध परंपरा:

 

बौद्ध धर्म के अनुसार, इसी दिन भगवान गौतम बुद्ध ने सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया था। यह दिन बौद्ध अनुयायियों के लिए भी अत्यंत पवित्र माना जाता है।

 

🧘 3. आध्यात्मिक महत्व:

 

योगिक परंपरा में, माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव ने आदि गुरु (आदि योगी) के रूप में सप्त ऋषियों को योग की शिक्षा देना प्रारंभ किया था।

 

🙏 गुरु पूर्णिमा कैसे मनाई जाती है?

 

विद्यार्थी अपने गुरु या शिक्षक से आशीर्वाद लेते हैं।

गुरुओं की पूजा-अर्चना की जाती है।

आध्यात्मिक साधक अपने आध्यात्मिक गुरु की उपासना करते हैं।

कई स्थानों पर ‘गुरु पाठ’, भजन-संकीर्तन, यज्ञ, सत्संग आदि का आयोजन होता है।

 

यह दिन आत्ममंथन, साधना और गुरुवाक्य के अनुसरण का दिन माना जाता है।

 

गुरु पूर्णिमा का आध्यात्मिक संदेश

 

    गुरु पूर्णिमा केवल एक पर्व नहीं है, यह गुरु-शिष्य परंपरा की शक्ति, श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि जीवन में एक सच्चे मार्गदर्शक की आवश्यकता कितनी आवश्यक है।

 

📘 निष्कर्ष

 

गुरु पूर्णिमा हमें यह सिखाती है कि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में यदि सही मार्गदर्शक मिल जाए तो हमारा अंधकारमय जीवन भी ज्ञान से प्रकाशित हो सकता है। इस दिन हम अपने सभी शिक्षकों, मार्गदर्शकों, माता-पिता और संतों को कृतज्ञता अर्पित करते हैं और अपने जीवन को सद्गुणों, सेवा और साधना के मार्ग पर ले जाने का संकल्प करते हैं।

 

🌺 "गुरु पूर्णिमा की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं!" 🙏

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